शक
शक एक ऐसी बीमारी है जो एक हरे भरे बगीचे को भी बंजर रण बना सकता है ,ज़रूरी नही के शक करना हमेशा गलत हो , पर कभी कभी शक की बुनियाद घर को खोखला कर देती है ,
शक एक ऐसा रोग है जो एक बार किसी के मन मे घर कर गया तो वो रिस्तो को तोड़ कर ही जाता है ,
"शक करना जायज़ था मेरा,
पर शक गलत था मेरा ,
रिस्तो समझने की समझ खो बैठा था,रे
तूज़ पर शक करके में खुद रो बैठा था। "
-मिहिर दरजी
शक हमेशा ज़िंदगियां बर्बाद कर देता है , हमेशा रिस्तो को जला देता है , कभी अपनो से तो कभी खुद से बेर करा देता है यह शक ।
बीती बातो को याद कराना सीखा देता है शक,
अपनो की गलतियों की गिनाना सीखा देता है शक,
रिस्तो को बर्बाद करने की ताकत रखता है यह शक ।
" अपनो से नज़दीकियां बनाये रखे,
शक से खुद और अपनो को बचाये रखे । "